Apollo Micro Systems Share Price: डिफेंस सेक्टर के इस स्टॉक में आई तूफानी तेजी, कंपनी ने अमेरिका के साथ की बड़ी डील…

By Ravi Singh

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Apollo Micro Systems Share Price

Apollo Micro Systems Share Price: भारत का डिफेंस सेक्टर आजकल निवेशकों के बीच चर्चा का केंद्र बना हुआ है। आत्मनिर्भर भारत अभियान और बढ़ते रक्षा बजट के बीच, कई कंपनियां तेजी से उभर रही हैं। इन्हीं में से एक है अपोलो माइक्रो सिस्टम्स लिमिटेड (Apollo Micro Systems Ltd), जिसके शेयर में हाल ही में तूफानी तेजी देखने को मिली है। Apollo Micro Systems Share Price: डिफेंस सेक्टर के इस स्टॉक में आई तूफानी तेजी, कंपनी ने अमेरिका के साथ की बड़ी डील… – यह खबर बाजार में धमाल मचा रही है। 11 सितंबर 2025 को कंपनी की सब्सिडियरी ने अमेरिका की एक फर्म के साथ रॉकेट मोटर टेक्नोलॉजी पर MoU साइन किया, जिसके बाद शेयर प्राइस में 5% से ज्यादा की छलांग लग गई। अगर आप डिफेंस स्टॉक्स में निवेश करने की सोच रहे हैं, तो यह लेख आपके लिए है। हम यहां कंपनी की वर्तमान शेयर प्राइस, इतिहास, तेजी के कारणों और निवेश प्रक्रिया पर विस्तार से बात करेंगे। सरल भाषा में लिखा यह आर्टिकल आपको सही निर्णय लेने में मदद करेगा।

डिफेंस सेक्टर में भारत सरकार का फोकस बढ़ रहा है, और अपोलो माइक्रो जैसी कंपनियां इसमें अहम भूमिका निभा रही हैं। लेकिन क्या यह तेजी लंबे समय तक चलेगी? आइए, स्टेप बाय स्टेप समझते हैं।

Apollo Micro Systems Share Price: वर्तमान स्थिति और बाजार ट्रेंड्स

अपोलो माइक्रो सिस्टम्स का शेयर प्राइस हाल के दिनों में आसमान छू रहा है। 11 सितंबर 2025 को NSE पर यह ₹297.85 के स्तर पर बंद हुआ, जो पिछले बंद भाव ₹282.85 से 5.30% ऊपर है। इंट्राडे में यह ₹295 तक पहुंचा, जो 4.29% की बढ़त दर्शाता है। BSE पर भी यही ट्रेंड दिखा। कंपनी का मार्केट कैप ₹9,434 करोड़ के आसपास है, और PE रेशियो 15.0 गुना बुक वैल्यू पर ट्रेड कर रहा है।

  • 52-वीक हाई-लो: हाल का 52-वीक हाई ₹320.75 (5 सितंबर 2025) और लो ₹243.50 (अगस्त 2025) रहा।
  • मासिक परफॉर्मेंस: सितंबर में अब तक 12% की बढ़त, जबकि अगस्त में 51% का उछाल।
  • 6-महीने का रिटर्न: 140-150% की जबरदस्त ग्रोथ, जो अन्य डिफेंस स्टॉक्स से दोगुनी है।

यह तेजी अमेरिका डील की वजह से आई है, लेकिन सेक्टर की ओवरऑल ग्रोथ भी इसमें योगदान दे रही है। निवेशक अब कंपनी के ऑर्डर बुक पर नजर रख रहे हैं, जो जून 2025 तक ₹735 करोड़ तक पहुंच गया है – पिछले साल के ₹500 करोड़ से 47% ज्यादा। मैनेजमेंट का गाइडेंस है कि यह तीन गुना हो सकता है। अगर आप ट्रेडिंग ऐप्स जैसे Groww या Zerodha पर चेक करें, तो लाइव चार्ट्स दिखाते हैं कि वॉल्यूम में भी इजाफा हुआ है।

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Apollo Micro Systems Share Price History: सफर एक नजर में

अपोलो माइक्रो सिस्टम्स की स्थापना 1985 में हुई थी, लेकिन यह 2018 में NSE और BSE पर लिस्टेड हुई। शुरुआती दिनों में यह एयरोस्पेस और डिफेंस इलेक्ट्रॉनिक्स पर फोकस करती थी। Apollo Micro Systems Share Price History को देखें तो, IPO के बाद यह ₹100-120 के बीच घूमता रहा, लेकिन कोविड के बाद डिफेंस बूम ने इसे नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया।

  • 2018-2020: लिस्टिंग के बाद प्राइस ₹50-100 के बीच रहा। डिफेंस ऑर्डर्स कम होने से ग्रोथ सीमित।
  • 2021-2023: DRDO और ISRO के प्रोजेक्ट्स से उछाल। 2022 में ₹150 तक पहुंचा, लेकिन ग्लोबल इकोनॉमी की वजह से उतार-चढ़ाव।
  • 2024: आत्मनिर्भर भारत के तहत ऑर्डर्स बढ़े। साल भर में 80% रिटर्न, प्राइस ₹200 पार।
  • 2025 YTD: जून तक ₹271.40 का 52-वीक हाई, और सितंबर में अमेरिका डील से नया रिकॉर्ड। कुल 140% ग्रोथ।

कंपनी का ROE 8.10% है, जो सेक्टर औसत से कम लगता है, लेकिन ऑर्डर बुक की वजह से फ्यूचर ब्राइट है। प्रमोटर होल्डिंग 37.50% है, जो हाल के क्वार्टर में 4.47% घटी। हिस्टोरिकल डेटा से साफ है कि डिफेंस न्यूज पर ही प्राइस में तूफानी तेजी आती है।

डिफेंस सेक्टर के इस स्टॉक में आई तूफानी तेजी: प्रमुख कारण

डिफेंस सेक्टर के इस स्टॉक में आई तूफानी तेजी का सबसे बड़ा कारण कंपनी की अमेरिका के साथ बड़ी डील है। 11 सितंबर 2025 को अपोलो स्ट्रैटेजिक टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड (कंपनी की स्टेप-डाउन सब्सिडियरी) ने यूएस-बेस्ड डायनामिक इंजीनियरिंग के साथ MoU साइन किया। यह डील BM-21 ग्राड ER और नॉन-ER रॉकेट मोटर्स के लिए टेक्नोलॉजी ट्रांसफर, को-डेवलपमेंट और लाइसेंस्ड प्रोडक्शन पर फोकस करती है।

  • डील की डिटेल्स: रॉकेट मोटर टेक्नोलॉजी का ट्रांसफर, जो इंडियन आर्मी के लिए क्रूशियल है। इससे कंपनी को नई मार्केट एंट्री मिलेगी।
  • मार्केट इम्पैक्ट: खबर आने के बाद शेयर 3.6-4% उछला। ट्रेडर्स का अनुमान है कि इससे रेवेन्यू में 20-30% इजाफा हो सकता है।
  • सेक्टर ग्रोथ: भारत का डिफेंस बजट 2025-26 के लिए ₹6.2 लाख करोड़ है, जिसमें 75% लोकल प्रोडक्शन पर जोर। अपोलो जैसी कंपनियां इससे फायदा उठा रही हैं।
  • अन्य फैक्टर्स: Q1 FY26 में नेट प्रॉफिट 119.57% बढ़कर ₹18.51 करोड़। ऑर्डर बुक में DRDO प्रोजेक्ट्स शामिल।
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यह तेजी सिर्फ डील तक सीमित नहीं – कंपनी ने हाल ही में GRSE के साथ भी स्ट्रैटेजिक कोलैबोरेशन किया, जिससे शेयर 6% चढ़ा। डिफेंस स्टॉक्स में अपोलो का परफॉर्मेंस टॉप पर है, जो निवेशकों को आकर्षित कर रहा है।

कंपनी ने अमेरिका के साथ की बड़ी डील: विस्तार से समझें

अमेरिका डील अपोलो माइक्रो के लिए माइलस्टोन है। अपोलो डिफेंस इंडस्ट्रीज (सब्सिडियरी) ने डायनामिक इंजीनियरिंग के साथ पार्टनरशिप की, जो रॉकेट सिस्टम्स में स्पेशलाइज्ड है। यह MoU टेक्नोलॉजी शेयरिंग पर आधारित है, जो इंडिया-यूएस डिफेंस टाई-अप को मजबूत करेगी।

  • डील के स्कोप: BM-21 ग्राड रॉकेट्स के लिए एक्सटेंडेड रेंज मोटर्स का डेवलपमेंट। लाइसेंस्ड प्रोडक्शन से लोकल मैन्युफैक्चरिंग बूस्ट।
  • फाइनेंशियल बेनिफिट्स: अनुमानित ₹100-200 करोड़ का नया बिजनेस। कंपनी का टर्नओवर FY25 में 50% ग्रो करने का टारगेट।
  • स्ट्रैटेजिक एडवांटेज: यूएस टेक से कंपनी की कैपेबिलिटी बढ़ेगी, जो ISRO और आर्मी प्रोजेक्ट्स के लिए उपयोगी।
  • रिस्क्स: जियो-पॉलिटिकल इश्यूज या डिले हो सकते हैं, लेकिन ओवरऑल पॉजिटिव।

यह डील भारत की ‘मेक इन इंडिया’ को सपोर्ट करती है। कंपनी के MD कार्तिकेयन रेड्डी ने कहा कि यह ग्लोबल एक्सपैंशन का स्टेप है। मार्केट एनालिस्ट्स का कहना है कि इससे शेयर प्राइस ₹350 तक जा सकता है।

अपोलो माइक्रो सिस्टम्स: कंपनी ओवरव्यू और फाइनेंशियल हेल्थ

अपोलो माइक्रो सिस्टम्स एक लीडिंग एयरोस्पेस और डिफेंस कंपनी है, जो इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम्स, मिशन क्रिटिकल कंपोनेंट्स और सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट में काम करती है। हेडक्वार्टर हैदराबाद में, यह DRDO, HAL और प्राइवेट सेक्टर के लिए सप्लाई करती है।

  • प्रोडक्ट्स: रडार सिस्टम्स, मिसाइल कंट्रोल, सैटेलाइट कंपोनेंट्स।
  • क्लाइंट्स: 80% बिजनेस गवर्नमेंट से, बाकी प्राइवेट।
  • फाइनेंशियल्स: FY25 में रेवेन्यू ₹500 करोड़ से ऊपर, प्रॉफिट मार्जिन 10%। डेट-टू-इक्विटी रेशियो लो।
  • ग्रोथ ड्राइवर्स: एक्सपोर्ट ऑपर्चुनिटीज और R&D इन्वेस्टमेंट।

कंपनी का फोकस इनोवेशन पर है, जो लॉन्ग-टर्म वैल्यू क्रिएट करेगा।

शेयर में निवेश कैसे करें: अप्लाई प्रोसेस

अप्लाई प्रोसेस यानी शेयर खरीदने की प्रक्रिया सरल है, लेकिन सावधानी बरतें।

  • डिमैट अकाउंट ओपन करें: Zerodha, Upstox या Groww जैसे ब्रोकर से ऑनलाइन अप्लाई। KYC (PAN, Aadhaar) सबमिट करें।
  • ट्रेडिंग अकाउंट लिंक: बैंक अकाउंट से जोड़ें। 1-2 दिन में एक्टिवेट।
  • शेयर सर्च करें: NSE/BSE पर APOLLO सर्च करें। लिमिट/मार्केट ऑर्डर प्लेस करें।
  • मॉनिटर: ऐप्स से लाइव प्राइस ट्रैक करें। SIP या लंपसम निवेश चुनें।
  • टैक्स: LTCG 10% (₹1 लाख से ऊपर), STCG 15%।
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नए निवेशकों के लिए, ₹10,000 से शुरू करें। रिस्क मैनेजमेंट के लिए स्टॉप-लॉस यूज करें।

महत्वपूर्ण डॉक्यूमेंट्स: निवेश से पहले चेक करें

निवेश से पहले इंपॉर्टेंट डॉक्यूमेंट्स रेडी रखें।

  • KYC डॉक्स: PAN कार्ड, आधार, बैंक स्टेटमेंट।
  • कंपनी डॉक्स: एनुअल रिपोर्ट, क्वार्टरली रिजल्ट्स NSE वेबसाइट से डाउनलोड।
  • रिस्क डिस्क्लोजर: ब्रोकर से साइन करें।
  • टैक्स फाइलिंग: ITR और Form 16।
  • अन्य: कंपनी की वेबसाइट से IR डॉक्स, जैसे ऑर्डर बुक अपडेट्स।

ये डॉक्स ट्रांसपेरेंसी सुनिश्चित करते हैं। अपोलो की लेटेस्ट रिपोर्ट में डील डिटेल्स चेक करें।

एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया: कौन निवेश कर सकता है?

Eligibility Criteria हर निवेशक के लिए अलग है, लेकिन बेसिक्स समान।

  • उम्र: 18 साल से ऊपर।
  • KYC: वैलिड PAN और आधार।
  • इनकम प्रूफ: सैलरीड के लिए फॉर्म 16, बिजनेसमैन के लिए ITR।
  • रिस्क टॉलरेंस: डिफेंस स्टॉक्स वोलाटाइल, इसलिए हाई-रिस्क टॉलरेंट निवेशक।
  • नॉन-रेजिडेंट: NRI के लिए FEMA कंप्लायंस, PIS अकाउंट।
  • मिनिमम इन्वेस्टमेंट: कोई फिक्स नहीं, लेकिन ₹5,000 से शुरू।

SEBI गाइडलाइंस फॉलो करें। महिलाओं/सीनियर्स के लिए स्पेशल स्कीम्स उपलब्ध।

फ्यूचर आउटलुक: क्या होगा अगला?

2025-26 में अपोलो माइक्रो का टारगेट ₹1,000 करोड़ रेवेन्यू है। अमेरिका डील से एक्सपोर्ट 20% बढ़ सकता है। एनालिस्ट्स का टारगेट प्राइस ₹350-400। लेकिन रिस्क्स जैसे ग्लोबल टेंशन या डिले रहेंगे।

  • पॉजिटिव: डिफेंस बजट इजाफा, नई डील्स।
  • नेगेटिव: कॉम्पिटिशन (HAL, Bharat Dynamics)।
  • टिप: डाइवर्सिफाई करें, 5-10% पोर्टफोलियो में रखें।

Conclusion

Apollo Micro Systems Share Price में तूफानी तेजी डिफेंस सेक्टर की ताकत दिखाती है। अमेरिका डील ने इसे नई दिशा दी है। हमने इंट्रो से लेकर एलिजिबिलिटी तक सब कवर किया। अगर आप निवेशक हैं, तो रिसर्च करें और एक्सपर्ट से सलाह लें। बाजार अनिश्चित है, लेकिन अपोलो जैसी कंपनियां ब्राइट फ्यूचर दे सकती हैं। कमेंट्स में अपनी राय शेयर करें! About Us

Ravi Singh

मेरा नाम रवि सिंह है, मैं एक कंटेंट राइटर के तौर पर काम करता हूँ और मुझे लेख लिखना बहुत पसंद है। 4 साल के ब्लॉगिंग अनुभव के साथ मैं हमेशा दूसरों को प्रेरित करने और उन्हें सफल ब्लॉगर बनाने के लिए ज्ञान साझा करने के लिए तैयार रहता हूँ।

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